Tuesday 15 September 2020

 '' सरगोशियां '' जब भी उड़ती है है कल्पना की उड़ान पे...साथ मे उड़ाती है इस से जुड़े हज़ारो लाखों 


सपनों को हकीकत के आसमान पे....किसी ने इस को पढ़ा तो कद्रदान इस का हो गया...किसी को 


यह भाई इतनी कि वो इस के शब्दों का दीवाना सा हो गया...कोई तो इस के प्रेम रंग से संवर कर 


अपने प्यार को पा गया..कितनों ने '' सरगोशियां '' को शुक्राना दिया की इस ने उन को  को बेहतर इंसान 


 बना दिया...अब कमाल तो देखिए ना इन तमाम शब्दों को..लिखते है इन पन्नों पे और हज़ारो बसा लेते 


है प्यार अपना इन की मौजूदगी मे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...