Thursday 24 September 2020

 यह क्या हुआ..यह क्या किया..कभी हंसा दिया,कभी रुला दिया..कभी जी हुआ तो साथ छोड़ दिया तो 


कभी अपनी ख़ुशी हुई तो अपना लिया...कभी इतना मन दुखा दिया और कभी ऐसा भी हुआ कि बादशाह 


बेगम के रुतवे से सज़दा तक कर दिया...क्या यह प्यार है..क्या यह मुहब्बत का व्यापार है...कुछ गिला 


कर बेशक हज़ार बार शिकवा भी कर..मगर प्यार के मायने तो समझ...प्यार दिल का तार है..प्यार रूह 


का अंदाज़ है...प्यार पे जितना लिखे,बार बार लिखे..यह प्यार खासे-अंदाज़ है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...