देह के व्यापार मे,उस भरे बाज़ार मे...जिस्मों को रौंदा जाता है तो इन जिस्मों को बेचा भी जाता है..नन्ही
मासूम बाला जो फंसी थी धोखे से इस जाल मे..बेबस और लाचार थी इस घिनौने माहौल मे...बेबसी का
एक वो दिन,जब इक उम्रदराज़ इंसान ले गया खरीद कर उसे..बिलखती रोती चल पड़ी,अपनी
बदकिस्मती को ऐसे देख के...कठपुतली थी वो उस के हाथ और अपने नसीब की..एक दिन उसी इंसान
ने मांग सजा दी उस की अपने नाम से..कुदरत के इस फैसले को मान अपना नसीब, उस को साथी
अपना बना लिया..नारी का एक रूप यह भी है..उम्र के फासले को उस ने आड़े आने ना दिया..प्रेम
की गंगा बहाई ऐसी कि वो उम्रदराज़ भी उस के शुद्ध प्रेम का कायल हो गया..