यह बावरा सा मन मेरा...यह शरारती सा दिल मेरा...उड़ने लगा हवाओं मे ऐसे ,जैसे कोई गम इस के
पास ना था...इन खुले गेसुओं को छोड़ दिया महकने के लिए...अपनी आँखों के काजल को बिखरने
दिया पलकों की छाँव तले....बहुत दिनों से पायल को देखा नहीं..कुछ दिनों से अपनी बादशाही से
किसी का दिल जीता नहीं..खिलखिला कर हँसता हुआ कोई चेहरा,कितने दिनों से देखा ही नहीं..क्यों
बेज़ार है यहाँ हर कोई जीवन के झमेलों से..बावरा मन बोले मेरा,तक़दीर का लिखा कभी मिटता नहीं..
मत बना रोनी सी सूरत,तक़दीर से जयदा और वक़्त से पहले किसी को कुछ मिलता ही नहीं...