यह इंसान भी ना..कभी कहर-आपदा से डर गया..कभी मौत को देख डर गया...कभी अपने हाथ से
दौलत-जमीन जायदाद को निकलते देख,घबरा गया...इंसान की फितरत से जरा हट कर सोच,जो
दौलत-जमीन जायदाद तेरी है ही नहीं..उस के लिए क्यों वक़्त अपना बर्बाद कर रहा...अपनी देह को
सम्भाल जो तेरी अपनी है..जिस की कीमत इस दौलत जमीन जायदाद से बहुत ही जयदा है..भागना है
तो इस देह की देखभाल के पीछे भाग...यह नायाब रहे गी तो खुद ही हज़ारो कमा ले गा..खुद पे जो
विश्वास रखे गा तो सब कुछ खुद ही हासिल कर ले गा... ईश्वर ने चाहा तो सब ठीक होता जाये गा...