Sunday 20 September 2020

 आ फिर से एक बार इस बरसात को और भिगो दे...यह अपने आखिरी दौर पे है,आ जरा इस को प्यार 


से गले लगा ले...विदाई दे ऐसी इस को कि यह हम को कभी भुला ना पाए...अगले बरस जब आए तो 


हम को हमारी यादों के साथ कुछ नया तोहफा दे जाए..चंद बूंदे इस की और आंचल तेरा मेरा...यह 


कभी चुप रह कर बरसती है तो कभी चीखती है ऐसे जैसे यह किसी बेइंतिहा दर्द से गुजर रही हो वैसे..


आ मिल के साथ इस का दर्द मिटा दे,शायद अगले बरस तक यह दुनिया का दर्द मिटा दे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...