Sunday, 6 September 2020

 उठ जा ना,यह वक़्त सोने का तो नहीं...कर सिंगार अपनी ख्वाइशों का और गमों को अलविदा कहने 


का....यह ज़िंदगी ना बहुत शातिर है,जितना भी बस चले इस का, यह अपने इशारों पे नचाती है...जब 


कोई खुश होने लगे यह अचानक कुछ ऐसा कर देती है,घुलने लगता है दिल और अरमान खफा हो 


जाते है...नसीहत देते है तुझे,अपने चेहरे की मुस्कान ना गायब करना...यह ज़िंदगी बस इसी मुस्कान 


से डरती है...मासूम बेखबर रहना मगर इस ज़िंदगी के सफ़र मे मजबूती से उतर जाना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...