Saturday 5 September 2020

 खुशनुमा है आज की शाम...सावन का कोई बचा हुआ टुकड़ा,बरसने को तैयार है आज की शाम...यह 


बचा सा बादल बरसे गा कितने जोरों से..कि इस का मकसद खुद को साबित करना है...धरा को कितना 


भिगो पाए गा और यह धरा सूनी सी, क्या और कितना भीग पाए गी...शायद यह टुकड़ा खुद को आज भी 


साबित नहीं कर पाए गा...धरा की कठिन परीक्षा मे शायद ही सफल हो पाए गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...