धरा पे रह कर धरा पे ही रहना..कुछ भी मिल जाए पर पांव इस धरा पे जमाए रखना...हां,बाबा के
वचन याद रखते है...बुलंदियों की और जा रहे है तो आत्मविश्वास बढ़ाना होगा...तू इस को समझे मेरा
गरूर तो नज़रिया तुझ को ही अपना बदलना होगा...ऊपर उठे गे हम तो विरले ही हमारी शोहरत हज़म
कर पाए गे...अगर तू भी उन मे से एक है तो यक़ीनन हम तुझ से दूर हो जाए गे...ग़लत किया नहीं कभी
तो क्यों बेवजह आसमान मे उड़ते जाए गे..नाम करना है रौशन बाबा का तो हर तकलीफ से गुजर जाए
गे...