इन आँखों के यह शामियाने क्यों सज़दा करते है..भरे है नींद से मगर कश्मकश मे रहते है....कहते
कुछ नहीं मगर खता कुछ ऐसी कर देते है...खवाब मे आप के आए गे आज,यह इशारा कर अपना
यह शामियाना बंद करते है...मगर बंद करने से पहले,शैतानी इतनी कर देते है..हम को याद करते
करते नींद तुम को आए नहीं..ख्वाब मे आए गे तब जब तुम सो पाओ गे..हम सो जाए गे सकून से,और
खवाब मे अपने, आप को खींच लाए गे..अब इतनी गुस्ताखी भी ना करे तो तेरे सनम कैसे कहलाए गे...
कुछ नहीं मगर खता कुछ ऐसी कर देते है...खवाब मे आप के आए गे आज,यह इशारा कर अपना
यह शामियाना बंद करते है...मगर बंद करने से पहले,शैतानी इतनी कर देते है..हम को याद करते
करते नींद तुम को आए नहीं..ख्वाब मे आए गे तब जब तुम सो पाओ गे..हम सो जाए गे सकून से,और
खवाब मे अपने, आप को खींच लाए गे..अब इतनी गुस्ताखी भी ना करे तो तेरे सनम कैसे कहलाए गे...