Thursday 25 June 2020

यह दिन का उजाला है या कोई मन्नत की शाम...क्यों दुल्हन की तरह सजने को तैयार है यह दिन-शाम..

ज़ी है, लगा दे इस दिन को बिंदिया और शाम को पहना दे सच्चे मोतियों का हार...दिन के हर लम्हे को

कहे मुबारक और झूम के नाचे इस के साथ...नाज़ तब तल्क़ उठाए जब तक आए ना शाम...क्या कहे

शाम भी तो महकने वाली है..क्यों लगता है यह साथ मिल के इसी दिन के,कोई ज़शन मनाने वाली है..

उजाला हुआ तो सूरज भी हैरान हुआ कि यह उजाला तो उस के करिश्मे से जयदा सुनहरा है..बात होगी

जब शाम मे चाँद की,उस के पास तो कोई जवाब ही ना होगा...गज़ब अल्लाह,यह दिन है या मन्नत की

कोई शाम...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...