Tuesday 9 June 2020

इरादा तो हमेशा से आसमान को छूने का है..मगर वहां रहने का नहीं...दिल तो चाहे हर दम,उड़ जाए

आसमां के छोर तक और आसमां का वो अंतिम कोर तक छू ले...वापिस लौट आए इसी धरा पे,जहां

कदम हमारे रुकते-चलते है...इस की माटी मे जन्म लिया,इसी माटी मे खेले-कूदे...दुनियां बांधती रहे

तारीफों के पुल पे पुल,हम ओकात अपनी जानते है..खुद के सपनो पे यकीं इतना जयदा है और आशा

का दामन जब साथ है..फिर आसमां का वो कोर,हमारी इंतज़ार मे है...इसलिए इत्मीनान बहुत जयदा है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...