नन्ही-नन्ही बूंदे बरस कर धीमे-धीमे,कह रही हो जैसे हम से...नींद की इस बेला मे सो जाना है तुझ को...
उस के धीमे बरसने का हल्का शोर लग रहा है. जैसे लोरी सुना रहा है हमे...लोरी सुने बरस बीत गए...
माँ की गोद से उतरे बचपन के खिलौने पीछे छूट गए...मद्धम-मद्धम बूंदो की यह आवाज़,दिला गई
माँ की याद...लोरी बेशक सुने गे इन नन्ही बूंदो की आज की रात,पर माँ याद आए गी हर बरसती बून्द
के साथ...याद आए गी हर.....बरसती बून्द.......के साथ...
उस के धीमे बरसने का हल्का शोर लग रहा है. जैसे लोरी सुना रहा है हमे...लोरी सुने बरस बीत गए...
माँ की गोद से उतरे बचपन के खिलौने पीछे छूट गए...मद्धम-मद्धम बूंदो की यह आवाज़,दिला गई
माँ की याद...लोरी बेशक सुने गे इन नन्ही बूंदो की आज की रात,पर माँ याद आए गी हर बरसती बून्द
के साथ...याद आए गी हर.....बरसती बून्द.......के साथ...