Sunday 28 June 2020

नन्ही-नन्ही बूंदे बरस कर धीमे-धीमे,कह रही हो जैसे हम से...नींद की इस बेला मे सो जाना है तुझ को...

उस के धीमे बरसने का हल्का शोर लग रहा है. जैसे लोरी सुना रहा है हमे...लोरी सुने बरस बीत गए...

माँ की गोद से उतरे बचपन के खिलौने पीछे छूट गए...मद्धम-मद्धम बूंदो की यह आवाज़,दिला गई

माँ की याद...लोरी बेशक सुने गे  इन नन्ही बूंदो की आज की रात,पर माँ याद आए गी हर बरसती बून्द

के साथ...याद आए गी हर.....बरसती बून्द.......के साथ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...