Saturday 20 June 2020

बस जरा सी मुसीबत और घबरा गए..कहर कब तक रहे गा,यह सोच परेशान हो गए...कोई राह नहीं

दिखती क्या करे..इस सवाल-जवाब के चक्रव्यहू से दिमागी तौर पे लड़खड़ा गए..कभी सोचा तुम ने,

तुम से जयदा मायूस और कितने है...पाँव मे छाले है और घर से बेघर है..फिर भी उन मे कितने ऐसे

बहादुर होंगे जो इस कहर से परे जीने की मंशा रख रहे होंगे...ज़िंदगी की जंग अक्सर वही जीता करते

है,जो सब्र साथ रख चला करते है...जरा सोचना,अभी कितना कुछ पास तुम्हारे है...घर की चारदीवारी

है और पाँव मे कही छाले भी नहीं...ज़िंदगी अभी भी नियामत वाली है...थोड़ा और सब्र कर,ख़ुशी बस

आने वाली है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...