वो रूप-गर्विता है,ऐसा सुना हम ने..वो दौलत के भंडार की मालकिन है,ऐसा भी सुना हम ने..हज़ारो
उस के रूप के दीवाने है,यह खबर भी मिली हम को..चलो मिल लेते है ऐसे रूप के इंसान से..हज़ारो
माटी के रंग पोते..महंगे परिधान पहने और खास अदा से खुद को परिभाषित करने वाली,यह कैसी रूप
की माटी है..तेज़ हवा और बारिश की बौछारों ने अचानक भिगोया तो रूप असली उस का सामने आया..
माटी के रंग माटी मे मिले और रूप-गर्विता के रूप दुनियाँ की नज़रो को दिखे..चलते-चलते उसी की
बगिया से एक गुलाब हम को मिला,खूबसूरत मगर सादगी से भरा..कुदरत की दी खुशबू से भरा..
उस के रूप के दीवाने है,यह खबर भी मिली हम को..चलो मिल लेते है ऐसे रूप के इंसान से..हज़ारो
माटी के रंग पोते..महंगे परिधान पहने और खास अदा से खुद को परिभाषित करने वाली,यह कैसी रूप
की माटी है..तेज़ हवा और बारिश की बौछारों ने अचानक भिगोया तो रूप असली उस का सामने आया..
माटी के रंग माटी मे मिले और रूप-गर्विता के रूप दुनियाँ की नज़रो को दिखे..चलते-चलते उसी की
बगिया से एक गुलाब हम को मिला,खूबसूरत मगर सादगी से भरा..कुदरत की दी खुशबू से भरा..