तेरी आंख से बहता हुआ इक अश्क हू मैं...तेरी ही तन्हाई मे तेरे साथ चलता हुआ तेरा साया हू मैं...
तू जब भी याद करे मुझे,तेरे ही आस-पास रहने वाला साया हू मैं...दिखाई दू या ना दू,लेकिन तेरे ही दिल
मे बसा तेरा हमराज़ हू मैं..रात के अँधेरे मे एक जलता हुआ दीया हू मैं...रंजो-गम की चादर क्यों ओढ़े
बैठे हो,मुस्कुरा दे कि तेरी हर तकलीफ का आराम हू मैं...अब यह तो पूछ मुझ से कि कौन हू मैं...जिसे
कुदरत ने रचा सिर्फ तेरे ही लिए,उसी कुदरत की दी एक सौगात हू मैं.......
तू जब भी याद करे मुझे,तेरे ही आस-पास रहने वाला साया हू मैं...दिखाई दू या ना दू,लेकिन तेरे ही दिल
मे बसा तेरा हमराज़ हू मैं..रात के अँधेरे मे एक जलता हुआ दीया हू मैं...रंजो-गम की चादर क्यों ओढ़े
बैठे हो,मुस्कुरा दे कि तेरी हर तकलीफ का आराम हू मैं...अब यह तो पूछ मुझ से कि कौन हू मैं...जिसे
कुदरत ने रचा सिर्फ तेरे ही लिए,उसी कुदरत की दी एक सौगात हू मैं.......