Friday 26 June 2020

इतने आंसू..बेतहाशा आंसू...इन का मकसद क्या है...तेरे आंसुओ से कोई पिघल जाए या तेरे दर्दे-दिल

से पसीज जाए...यूं आँखों से अश्क बहा देना..बेवजह दुनियां को अपना दर्दे-दिल दिखा देना...तेरे अश्क़ो

की कोई कीमत नहीं लगाए गा यह निष्ठुर ज़माना..यह मत समझना तेरे दर्द को ख़ुशी मे बदल दे गा यह

पापी ज़माना...रो कर खुद को बरबाद ना कर,फिर भी रोना ही है तो तन्हाई मे अकेले से रो..सूखी-रूखी

अकेले मे खा लेना पर ज़माने को ख़ुशी से अपनी ख़ुशी जता देना...अपने ज़मीर पे लिख ले बात मेरी...

मुस्कुरा खुल के इतना कि तेरे दिल के राज़ ना जान पाए कोई कभी ना..यह ज़माना है यारा,अंगुली

उठाने को तैयार रहता है..खुद मर रहा हो बेशक, मगर तमाशा दूजो की ज़िंदगी का खुल के देखा

करता है.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...