Friday 12 June 2020

यह चाँद क्यों आधा-अधूरा सा है आज...लगता है कुछ उदास और मायूस सा आज...उस की यह

उदासी बेवजह तो नहीं होगी..क्या पता कोई गुस्ताखी इस की चांदनी ने की होगी..कभी लगता है

चांदनी के बेइंतिहा प्यार से नखरे दिखा रहा है यह चाँद..वो मनाए इसे,इसलिए खामोश से जयदा

नाराज़ है यह चाँद...चांदनी बेफिक्र है इस की खास अदा से,जानती है लौट के आना है इसे मेरी

ही आगोश मे..मुहब्बत मे खोट नहीं तो फ़िक्र क्यों कर लू,आज आधा-अधूरा है तो कल पूरा भी होगा

बस इंतज़ार कुछ और कर लू....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...