सुनते थे आसमाँ से आगे इक जहाँ और भी है...बाबा कहा करते थे,''दुआ गर सच्ची हो तो उस के दरबार
मे कबूल होती है...मेहनत गर करो गे पूरी शिद्दत से और दिलों को छुओ गे पाकीजगी से, तो कौन है इस
दुनियाँ में जो तुम को आसमाँ को छूने से रोके गा''...हम को आज आसमाँ से आगे का जहाँ क्यों दिख रहा
है..क्यों लग रहा है,बहुत जल्द हम इन पन्नो की शान बन जाए गे...एक एक लफ्ज़ बने गा हमारी पहचान
और आसमाँ का वो सिरा हमारे पन्नो की ज़मी का दोस्त बन जाए गा...बाबा से किया हर वादा निभाए गे..
धरा से जुड़े है,इसी धरा की मट्टी मे जीवन अपना बिताए गे...
मे कबूल होती है...मेहनत गर करो गे पूरी शिद्दत से और दिलों को छुओ गे पाकीजगी से, तो कौन है इस
दुनियाँ में जो तुम को आसमाँ को छूने से रोके गा''...हम को आज आसमाँ से आगे का जहाँ क्यों दिख रहा
है..क्यों लग रहा है,बहुत जल्द हम इन पन्नो की शान बन जाए गे...एक एक लफ्ज़ बने गा हमारी पहचान
और आसमाँ का वो सिरा हमारे पन्नो की ज़मी का दोस्त बन जाए गा...बाबा से किया हर वादा निभाए गे..
धरा से जुड़े है,इसी धरा की मट्टी मे जीवन अपना बिताए गे...