Tuesday 16 June 2020

यह गहरे काले पानी से भरे बादल....पूछते है तुम से,रज़ा क्या है तुम्हारी...कही बरस रहे हो बेतहाशा तो

कही नाराज़गी से भरे खाली-खाली हो...कही बरपा रहे हो कहर तो कही आसमां सूखा है...यह ज़िद्द है

तुम्हारी या इंसा को सताने का गज़ब बहाना है...ज़िद्द छोड़ दे अपनी,संभल जा जरा..बरस जरूर मगर

सब को अपने रुतबे का एहसास दिला..किसी को इतना भी दुःख ना दे कि वो तेरे कहर से थक जाए...

ना रख किसी को इतना तन्हा कि तेरी एक बून्द को ही तरस जाए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...