बरसों बाद वो मिली उस को जिस हाल मे..वो पहचान भी ना पाया उस को बदहवासी के उस हाल मे..
अंदेशा हुआ बस इतना कि यह चेहरा कुछ जाना-पहचाना है..पुकारा उसी के खास नाम से जब उस ने,
रूह हिल गई कही अंदर से..खौफ नहीं था दुनियाँ की नज़रो का अब..लिपट गए एक-दूजे से तब..जाना
कि वो दरिंदो के पंजो से निकल भागी है..परवरदिगार,तेरी दुनियाँ निराली है...कही इंसा दरिंदे बन मासूमों
की इज़्ज़त रौंद देते है तो यही ऐसे भी इंसान है,जो अपने प्यार को इस हाल मे भी अपना लेते है...
अंदेशा हुआ बस इतना कि यह चेहरा कुछ जाना-पहचाना है..पुकारा उसी के खास नाम से जब उस ने,
रूह हिल गई कही अंदर से..खौफ नहीं था दुनियाँ की नज़रो का अब..लिपट गए एक-दूजे से तब..जाना
कि वो दरिंदो के पंजो से निकल भागी है..परवरदिगार,तेरी दुनियाँ निराली है...कही इंसा दरिंदे बन मासूमों
की इज़्ज़त रौंद देते है तो यही ऐसे भी इंसान है,जो अपने प्यार को इस हाल मे भी अपना लेते है...