Monday 29 June 2020

कैसी-कैसी चल रही यह ज़िंदगी...हर रोज़ उधार की साँसे दे रही यह ज़िंदगी...कितना वक़्त और दे

गी जीने का,यह बता भी नहीं रही यह ज़िंदगी...हर सांस अब तो जी ले,खुद को समझा रही खुद की

आवाज़ और यह अनगिनित ख्वाइशें...कुछ गिला नहीं,कोई शिकवा भी नहीं तुझ से ज़िंदगी...जी  गए

तो फिर बिंदास जी ले गे तुझे ज़िंदगी..जो तूने साथ छोड़ दिया तो भी ख़ुशी-ख़ुशी कहना मान ले गे

तेरा ऐ ज़िंदगी...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...