कैसी-कैसी चल रही यह ज़िंदगी...हर रोज़ उधार की साँसे दे रही यह ज़िंदगी...कितना वक़्त और दे
गी जीने का,यह बता भी नहीं रही यह ज़िंदगी...हर सांस अब तो जी ले,खुद को समझा रही खुद की
आवाज़ और यह अनगिनित ख्वाइशें...कुछ गिला नहीं,कोई शिकवा भी नहीं तुझ से ज़िंदगी...जी गए
तो फिर बिंदास जी ले गे तुझे ज़िंदगी..जो तूने साथ छोड़ दिया तो भी ख़ुशी-ख़ुशी कहना मान ले गे
तेरा ऐ ज़िंदगी...
गी जीने का,यह बता भी नहीं रही यह ज़िंदगी...हर सांस अब तो जी ले,खुद को समझा रही खुद की
आवाज़ और यह अनगिनित ख्वाइशें...कुछ गिला नहीं,कोई शिकवा भी नहीं तुझ से ज़िंदगी...जी गए
तो फिर बिंदास जी ले गे तुझे ज़िंदगी..जो तूने साथ छोड़ दिया तो भी ख़ुशी-ख़ुशी कहना मान ले गे
तेरा ऐ ज़िंदगी...