Saturday 27 June 2020

बालपन से कभी मिले नहीं..पर क्यों लगता रहा,एहसासों से इक-दूजे के बेहद नज़दीक है...कभी किसी

को कुछ होता तो दूजा परेशां हो जाता..कभी कोई तन्हाई मे रोता तो दूजा भी कहीं दूर,बहुत दूर उसी के

लिए रो देता...बिना देखे बिना मिले,यह रिश्ता कौन सा था...बरसों बाद मिले भूले से,मगर रूहों ने बस

पहचान लिया..जिस्म दो है पर जान एक ही रहती है..रिश्ता नहीं जुड़ा कोई,पर राधा-कृष्णा की जोड़ी

है...प्रेम जिस्मों का मेल नहीं शायद...प्रेम दौलत का नाम भी नहीं शायद...प्रेम नाम पूजा की थाली है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...