Monday 15 June 2020

तेरे हाथ मे जब हाथ अपना सौंप दिया तो डर कैसा...साँसों को तेरे नाम लिख दिया तो खौफ कैसा..

नाराज़ नहीं तुझ से,मजबूरी का दायरा है रिश्ते से बड़ा...वो नाता ही क्या जो टूट जाए,हवा के तेज़

झोकों से...वो रिश्ता ही क्या जो मिट जाए तूफान की गर्दिशों से...मौत भी जुदा ना कर पाए,यह प्रेम

इस की मिसाल है..दूरियां जब नसीब बन जाए तो प्रेम वहां भी कमाल है...मिलने की घड़ियां ताउम्र

ना भी आए तो प्रेम बेमिसाल है..रूह जब रूह को अपना ले,वहां प्रेम कुदरत का सिंहासन और पाक

इबादत का नायाब नाम है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...