Sunday 28 June 2020

निग़ाहों मे अचानक नमी का आ जाना...उदास होना पर खुद को ही ना बताना...सोचा था क्या और हुआ

क्या,बस इसी के एहसास से बिलख कर अश्रु का बहना...बहुत चाहा रोए गे बिलकुल भी नहीं..क्या हुआ

जो एहसास का जवाब एहसास नहीं आया..क्या हुआ जो ख़ुशी का मौका आज मिल नहीं पाया...जो

मिलता है तरसने के बाद वो खुदा की खास नियामत होती है...झोली हम ने फ़ैलाई तो क्या हुआ, उस

के दरबार मे सुनवाई कुछ वक़्त बाद हो जाए गी...उम्मीद का दामन थामे रखा है,आज नहीं तो कल

ख़ुशी लौट आए गी ........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...