तुम देती रहो दर्द और दुःख पर हम तुझे फिर भी प्यार से लगाए गे गले,सुन ऐ ज़िंदगी...तू जानती है कि
तेरी कीमत बहुत ही जयदा है..इसलिए आहे-बगाहे तू हमी को बेइंतिहा दर्द देती रहती है..कभी रुला
देती है इतना कि दिल पे बन आती है तो कभी बेवजह इतना हंसा देती है कि आंखे ही भिगो देती है...
खुद्दार है बहुत,तेरे हाथ कभी ना आए गे...देती रह दर्द-दुःख पर हम है कि हर बार तुझे शिकस्त दे जी
भर के मुस्कुराए गे...हम उन मे से नहीं जो तेरे दर्दो से हार मान,मौत को कबूल कर ले गे..जिए गे बिंदास
और तुझी पे राज़ कर के तेरे ही हमराज़ बन जाए गे..क्यों कि ऐ ज़िंदगी,तू नाम है जीत का..और हम
तेरी जीत का दूजा नाम है...
तेरी कीमत बहुत ही जयदा है..इसलिए आहे-बगाहे तू हमी को बेइंतिहा दर्द देती रहती है..कभी रुला
देती है इतना कि दिल पे बन आती है तो कभी बेवजह इतना हंसा देती है कि आंखे ही भिगो देती है...
खुद्दार है बहुत,तेरे हाथ कभी ना आए गे...देती रह दर्द-दुःख पर हम है कि हर बार तुझे शिकस्त दे जी
भर के मुस्कुराए गे...हम उन मे से नहीं जो तेरे दर्दो से हार मान,मौत को कबूल कर ले गे..जिए गे बिंदास
और तुझी पे राज़ कर के तेरे ही हमराज़ बन जाए गे..क्यों कि ऐ ज़िंदगी,तू नाम है जीत का..और हम
तेरी जीत का दूजा नाम है...