रूप अलौकिक,प्रेम अलौकिक,तेरा मेरा साथ अलौकिक....कितने जन्म से साथ चलते आए..कितने जन्म
अभी बाकी है...दुनियां का स्वरुप समझ ना पाए,यह दुनियां बेमानी और बाज़ारू है...यहाँ खेल है सारा
दौलत का,प्रेम का मोल है किस ने जाना...निःशब्द है हम निःशब्द हो तुम..प्रेम की बोली है इतनी ही
प्यारी..ना कुछ माँगा ना कुछ चाहा,बस अपना सब कुछ तुम पे वार दिया...हर लम्हा हर सांस जब है
तेरी तो राधा बनी सब से न्यारी सब से प्यारी...कृष्णा कृष्णा कहते कहते,उस की बोली कभी ना थकती..
यह तूने जाना यह मैंने जाना..यह धरती अब किस काम की मेरी....
अभी बाकी है...दुनियां का स्वरुप समझ ना पाए,यह दुनियां बेमानी और बाज़ारू है...यहाँ खेल है सारा
दौलत का,प्रेम का मोल है किस ने जाना...निःशब्द है हम निःशब्द हो तुम..प्रेम की बोली है इतनी ही
प्यारी..ना कुछ माँगा ना कुछ चाहा,बस अपना सब कुछ तुम पे वार दिया...हर लम्हा हर सांस जब है
तेरी तो राधा बनी सब से न्यारी सब से प्यारी...कृष्णा कृष्णा कहते कहते,उस की बोली कभी ना थकती..
यह तूने जाना यह मैंने जाना..यह धरती अब किस काम की मेरी....