कभी खोया कभी पाया..कभी इंतज़ार मे तेरी,दिन ही सारा गुज़ार दिया...कभी तेरी बेरुखी तो कभी यू
बेवजह माफ़ी का मांग लेना...तेरे वज़ूद पे मुझे हैरानी का शक़ हो आया...तागीद करते रहे ना झूठ बोल
छोटी-छोटी बातों पे,हम तो तुझ को संभलना सिखाते रहे इस जीवन की कठिन राहों पे...छोड़ दे उन सब
इंसानो को जो तुझे कभी समझ ही ना सके...प्यार का आंचल कैसा होता है,यह तूने मुझ से मिल कर ही
जाना है..सीखो गे तब, जब हम इस दुनियां से चले जाए गे..फिर हम तुझे तेरे उस सच्चे रूप मे कहां
देख पाए गे...आसमां के फरिश्ते नहीं जो ऊपर से तुझे देख पाए गे..वक़्त है अभी भी,संभल जा जरा...
बेवजह माफ़ी का मांग लेना...तेरे वज़ूद पे मुझे हैरानी का शक़ हो आया...तागीद करते रहे ना झूठ बोल
छोटी-छोटी बातों पे,हम तो तुझ को संभलना सिखाते रहे इस जीवन की कठिन राहों पे...छोड़ दे उन सब
इंसानो को जो तुझे कभी समझ ही ना सके...प्यार का आंचल कैसा होता है,यह तूने मुझ से मिल कर ही
जाना है..सीखो गे तब, जब हम इस दुनियां से चले जाए गे..फिर हम तुझे तेरे उस सच्चे रूप मे कहां
देख पाए गे...आसमां के फरिश्ते नहीं जो ऊपर से तुझे देख पाए गे..वक़्त है अभी भी,संभल जा जरा...