Tuesday 30 June 2020

शोहरत की बुलंदी को छूना है तुझे तो खुद को बदलना होगा..ज़माना परखता है हर मोड़ पर सो लहज़ा

बोलने का बदलना होगा..सिर्फ इतना कहा तो ज़नाब बिफर गए,प्रवचन ना बोलिए..यह प्रवचन खुद के

पास ही रख लीजिए...हे अल्लाह,जो हम से ही उलझ ले वो ज़माने से कैसे निपटे गा..हर बात पे खफा हो

जाए वो बुलंदी को कैसे छू पाए गा..पर कसम तो हम ने भी इसी बुलंदी की खाई है...तू ना सुधरे तो क्या..

यह हमारी दुआ से खुद तेरे पास चल कर आए गी...यह जो तुझे लगते है प्रवचन,वही सुनने एक दिन तू

खुद की मर्ज़ी से पास हमारे आए गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...