ज़िंदगी को यूं ना गुजार बोझ समझ कर..दुःख के यह दिन भी निकल जाए गे..वक़्त रुकता नहीं किसी के
लिए तो फिर जी इस वक़्त को खुद के लिए...सिक्के आज नहीं तो कल फिर आए गे..खुद से जो टूट गए
तो ज़िंदगी के यह लम्हे ताउम्र रुलाए गे...तकलीफ है,चली जाए गी...अफ़सोस होगा बाद मे,काश थोड़ा
मजबूत हो जाते तो वक़्त को मात दे पाते..ना दे खुद को तकलीफ इन तकलीफो के लिए,यह इंतिहान ले
रही है तेरे मेरे सब्र का..मेहनत को अपना साथी बना,फिर देख कुदरत भी तेरे साथ है...यह वक़्त भी यूं
ही निकल जाए गा...
लिए तो फिर जी इस वक़्त को खुद के लिए...सिक्के आज नहीं तो कल फिर आए गे..खुद से जो टूट गए
तो ज़िंदगी के यह लम्हे ताउम्र रुलाए गे...तकलीफ है,चली जाए गी...अफ़सोस होगा बाद मे,काश थोड़ा
मजबूत हो जाते तो वक़्त को मात दे पाते..ना दे खुद को तकलीफ इन तकलीफो के लिए,यह इंतिहान ले
रही है तेरे मेरे सब्र का..मेहनत को अपना साथी बना,फिर देख कुदरत भी तेरे साथ है...यह वक़्त भी यूं
ही निकल जाए गा...