Thursday 18 June 2020

ज़िंदगी को यूं ना गुजार बोझ समझ कर..दुःख के यह दिन भी निकल जाए गे..वक़्त रुकता नहीं किसी के

लिए तो फिर जी इस वक़्त को खुद के लिए...सिक्के आज नहीं तो कल फिर आए गे..खुद से जो टूट गए

तो ज़िंदगी के यह लम्हे ताउम्र रुलाए गे...तकलीफ है,चली जाए गी...अफ़सोस होगा बाद मे,काश थोड़ा

मजबूत हो जाते तो वक़्त को मात दे पाते..ना दे खुद को तकलीफ इन तकलीफो के लिए,यह इंतिहान ले

रही है तेरे मेरे सब्र का..मेहनत को अपना साथी बना,फिर देख कुदरत भी तेरे साथ है...यह वक़्त भी यूं

ही निकल जाए गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...