आप ने खुद को खुदा मान लिया तो हम क्या करे...आप ने हम को अपनी चाहत कहा तो भला हम क्या
करे...बंजारे है,कही रुकते नहीं...भरे है खुद्दारी से,किसी की सुनते नहीं..दौलत आती रही किसी ना किसी
बहाने से,हम को लुभाने के लिए..हम थे मन्नत के धागो से जुड़े,दौलत का क्या करते...जैसे आप ने माना
हम को चाहत,वैसे लाखो भी मानते रहे..पीछे मुड़ कर कभी देखा नहीं,आगे खड़ी थी स्वाभिमान से भरी
ज़िंदगी मेरी..अब आप खुद को माने खुदा या माने चाहत मेरी, तो गलती है कहां मेरी...
करे...बंजारे है,कही रुकते नहीं...भरे है खुद्दारी से,किसी की सुनते नहीं..दौलत आती रही किसी ना किसी
बहाने से,हम को लुभाने के लिए..हम थे मन्नत के धागो से जुड़े,दौलत का क्या करते...जैसे आप ने माना
हम को चाहत,वैसे लाखो भी मानते रहे..पीछे मुड़ कर कभी देखा नहीं,आगे खड़ी थी स्वाभिमान से भरी
ज़िंदगी मेरी..अब आप खुद को माने खुदा या माने चाहत मेरी, तो गलती है कहां मेरी...