Saturday 13 June 2020

चिराग ना बुझाए गे आज, बेशक सुबह दस्तक ही क्यों ना दे दे...इंतज़ार करे गे तेरी उस बात का,जिस

के लिए ज़िंदगी बिता दी हम ने...यह आंखे बेशक बरसे,बरसती रहे..यह दिल तड़पता है तो तड़पता रहे..

रात को रोक सकते तो रोक ही लेते..ज़िंदगी के लम्हे वापिस ला सकते तो ले ही आते...मगर इबादत की

जितनी शिद्दत से हम ने,उस का सिला खुदा से कैसे लेते..ख़ामोशी से फिर कहते है,मेरे खुदा..इम्तिहान

ले जितनी तेरी मंशा है..जीत ना पाए तो क्या हुआ,मुहब्बत मे हार भी कबूल है हम को...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...