माना कि ज़लज़ला और क़हर अभी कायम है..मगर यह इंसा बहुत मायूस और अजीब किस्म का प्राणी
है...जब खुश होता है तो गुनाह अपने भूल जाता है..अपने भगवान् तक को बिसरा देता है..जब आता है
दुःख तो अपने अपराधों के लिए,उसी भगवान् को ही दोष देता है...कोई मेहरबां समझाए तो उसी पे बरस
देता है..फितरत तो देखिए इस की,जो भगवान् का ना हुआ वो अपने मेहरबानों का क्या होगा...रोना ही
इस की किस्मत है तो भगवान् को भी अब कुछ ना करना होगा....
है...जब खुश होता है तो गुनाह अपने भूल जाता है..अपने भगवान् तक को बिसरा देता है..जब आता है
दुःख तो अपने अपराधों के लिए,उसी भगवान् को ही दोष देता है...कोई मेहरबां समझाए तो उसी पे बरस
देता है..फितरत तो देखिए इस की,जो भगवान् का ना हुआ वो अपने मेहरबानों का क्या होगा...रोना ही
इस की किस्मत है तो भगवान् को भी अब कुछ ना करना होगा....