कहते है खामोशियाँ बोलती नहीं...मगर यह खामोशियाँ ही हम से अक्सर बात करती है...भीगे गेसुओं
को संवारने लगे तो मोती बन इन्ही गेसुओं से गिरने लगती है...करधनी पहने तो पिया को कर लेती है
यू याद..चुभन देती है इतनी और कह देती है बातें अनेक...यह गज़रा बाँधने से पहले क्यों इस के फूल
झरा देती है,सनम के हाथों का जैसे एहसास दिला देती है...नैना चपल हो जाते है जब कजरा इन मे
लगाते है,झिलमिल करते है यह दोनों नैना और पिया की खास शरारत पे मुस्कुरा देते है...तुम ख़ामोशी
हो या पिया का संदेसा लाने वाली कोई जादूगरनी हो....
को संवारने लगे तो मोती बन इन्ही गेसुओं से गिरने लगती है...करधनी पहने तो पिया को कर लेती है
यू याद..चुभन देती है इतनी और कह देती है बातें अनेक...यह गज़रा बाँधने से पहले क्यों इस के फूल
झरा देती है,सनम के हाथों का जैसे एहसास दिला देती है...नैना चपल हो जाते है जब कजरा इन मे
लगाते है,झिलमिल करते है यह दोनों नैना और पिया की खास शरारत पे मुस्कुरा देते है...तुम ख़ामोशी
हो या पिया का संदेसा लाने वाली कोई जादूगरनी हो....