नीर मे बहा दिए अश्रु सारे अपने,दिन फिर नया जो आया है...चलना ही तो ज़िंदगी है यह सोच अगला
कदम फिर धरा पे रख दिया हम ने...सुबह भी नई है तो इरादे भी नायाब होने चाहिए,इसी सोच को रख
सामने अपने असूलों को गिरेबान मे फिर बाँध लिया हम ने..छोड़ा तो कभी नहीं इन असूलों को,बस एक
विराम दे कर फिर साथ ले लिया इन को हम ने...कुछ असूल और कुछ सीख बाँट कर खुद को फिर नया
सा कर लिया हम ने..अब कोई कितना सीख पाया,यह तक़दीर पे छोड़ दिया हम ने...
कदम फिर धरा पे रख दिया हम ने...सुबह भी नई है तो इरादे भी नायाब होने चाहिए,इसी सोच को रख
सामने अपने असूलों को गिरेबान मे फिर बाँध लिया हम ने..छोड़ा तो कभी नहीं इन असूलों को,बस एक
विराम दे कर फिर साथ ले लिया इन को हम ने...कुछ असूल और कुछ सीख बाँट कर खुद को फिर नया
सा कर लिया हम ने..अब कोई कितना सीख पाया,यह तक़दीर पे छोड़ दिया हम ने...