ज़िंदगी फैली है बहुत दूर तक और आगे अँधेरे गहरे है...साँसों को कायम रखने के लिए,हिम्मत आज
बहुत जरुरी है...हिम्मत अपनी का इम्तिहान देना है तो सिर्फ ज़मीर की सुन...रह उस परवरदिगार के
आँचल मे,उस की नीयत पे कभी शक ना कर...जितनी शिद्दत से तू उस के करीब जाए गा,वो उतनी
ही सरलता से तुझे खुद मे थाम ले गा...कितनी बार,कितनी बार गिनाए कि उस के हाथों ने हम को
कितने दुखो मे थामा है...बस ख़ामोशी से एक बार कहा उस को..''तेरे सिवा मेरा इस जहाँ मे कोई और
नहीं'' और वो खामोश आवाज़ उस के दरबार मे सदियों तक ज़िंदा रहे गी,ऐसा हमारा दावा है...
बहुत जरुरी है...हिम्मत अपनी का इम्तिहान देना है तो सिर्फ ज़मीर की सुन...रह उस परवरदिगार के
आँचल मे,उस की नीयत पे कभी शक ना कर...जितनी शिद्दत से तू उस के करीब जाए गा,वो उतनी
ही सरलता से तुझे खुद मे थाम ले गा...कितनी बार,कितनी बार गिनाए कि उस के हाथों ने हम को
कितने दुखो मे थामा है...बस ख़ामोशी से एक बार कहा उस को..''तेरे सिवा मेरा इस जहाँ मे कोई और
नहीं'' और वो खामोश आवाज़ उस के दरबार मे सदियों तक ज़िंदा रहे गी,ऐसा हमारा दावा है...