Sunday 7 June 2020

नाज़ुक है बदन से मगर दिल के बहुत पक्के है...घुल जाते है संग सब के मगर प्यार किसी से नहीं करते

है...मिठास है बातो मे बहुत पर किसी की बातो मे नहीं आते है...देने के नाम पे हज़ारो दुआ का खज़ाना 

तक, सब के लिए लुटा देते है...मगर खुद को कभी कभी सब से अलूफ कर लेते है... दुनियाँ कहती है

सब से जुदा सब से अलग है हम...कुदरत का इक अलग करिश्मा है हम...दूर तक जहा जाती है हमारी

यह नज़र,खूबसूरत दिखता है यह जहाँ और धरती फिर लेती है जन्म...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...