Sunday 21 June 2020

मेरे बाबा......
दुनियाँ कह रही है आज दिन है तुम्हारा..
मैं कहती हू,रोज़ दिन है तुम्हारा..
जिस ने जन्म दिया उस के लिए दिन कोई खास क्यों होगा..
जिस ने साँसे दी,वो जीवन-दाता रोज़ साथ है मेरे..
तुम कल भी मेरे बाबा थे,आज भी हो और हर बार जन्म लू...
तब भी बस मेरे बाबा बन कर रहना...
संस्कारो से झोली भर दी मेरी....
कोई सीख अधूरी नहीं छोड़ी अपनी...
तेरी छाया बन आज भी साथ हू तेरे बाबा...
गुलाबी फ्राक पहनी तेरी वही गुड़िया हू बाबा..
दुनियाँ की नज़रो मे दिन खास होता होगा उन के पापा का...
पर मेरी रोज़ की दुनियाँ तो तुम से चलती है बाबा...
ना हो पापा ना हो डैडी..संस्कारो की बड़ी सी गठरी और नियामत तुम हो बाबा...
बहुत लाड से तुम को पुकारू..बाऊ जी..
और विधाता ने रच दी एक गुड़िया,जो आज भी है वैसी संस्कारी..
दुनियाँ ने सिर्फ पन्नो पे नाम से पापा अपने को याद किया..
अपने बाऊ जी की वही नन्ही सी गुड़िया,जिस ने जीवन का हर पल  बाबा की बातो से जान लिया...
अश्रु-धारा बह निकली है बाबा,तेरी याद फिर आ गई  है बाबा....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...