Tuesday 23 June 2020

ना खेल ऐसी आंख-मिचौली  कि हम इस भूल-भुलैया मे ग़ुम हो जाए गे...तू आज थोड़ा खुश है बस हम

तो तेरी ही ख़ुशी मे ग़ुम हो जाए गे...तेरी उदासी का मंज़र हम से देखा नहीं जाता...तू बिलकुल ही खामोश

हो जाए,यह भी हम से सहा नहीं जाता...चाँद हर रात ना निकले तो सितारों को उस की तलाश रहती है..

होता है वो अपनी चांदनी की आगोश मे, मगर खबर सब की रखता है...यू ही तुम भी,पर्दानशीं ना रहो

हम को तेरे ग़ुम हो जाने से डर सा लगता है...हमारे साथ हमारी ही पनाहों मे रहो कि ज़िंदगी का रुख

कभी भी बदल सकता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...