यह कौन सा रिश्ता है जो इस गौरैया से जुड़ने लगा है...प्यार के दो लफ्ज़ से हम ने पुकारा इस को और
अपनी हथेली पे रख कुछ दाना हम ने संभाला इस को...हम से पहले इस ने हम को अपना मान लिया..
इस की चमकती आँखों को गौर से निहारा हम ने और सोच मे डूब गए...क्या प्यार के दो बोल इतनी
ताकत रखते है..क्या प्यार के अनमोल बोल इंसा को भी बदल सकते है..यह गौरैया जब भी चहकती
हुई आंगन मे आती है,यू लगता है जैसे हम को दिल से शुक्राना देती है...
अपनी हथेली पे रख कुछ दाना हम ने संभाला इस को...हम से पहले इस ने हम को अपना मान लिया..
इस की चमकती आँखों को गौर से निहारा हम ने और सोच मे डूब गए...क्या प्यार के दो बोल इतनी
ताकत रखते है..क्या प्यार के अनमोल बोल इंसा को भी बदल सकते है..यह गौरैया जब भी चहकती
हुई आंगन मे आती है,यू लगता है जैसे हम को दिल से शुक्राना देती है...