यह कैसी सुबह है जिस मे नया भी है और नया कुछ भी नहीं है...निकल रहे है कितने अपनी राहो पे,
कुछ डरे हुए कुछ जरुरत से जयदा महके हुए...संतुलन ज़िंदगी का नाम है..जयदा दुखी या जयदा
महकना दोनों ही असंतुलन का नाम है..यह धरा भी अपनी और आसमां भी अपना है..सम्भालिए खुद
को इसी का नाम जीवन है...बेखबर खुद से इतने भी ना हो कि साँसे दांव पे लग जाए..ना डरे कहर से
इतना कि ज़िंदगी नाम बदनाम हो जाए...पाँव ज़मी पे रखिए जरा संभल के,ज़िंदगी जीने का ही तो नाम है
कुछ डरे हुए कुछ जरुरत से जयदा महके हुए...संतुलन ज़िंदगी का नाम है..जयदा दुखी या जयदा
महकना दोनों ही असंतुलन का नाम है..यह धरा भी अपनी और आसमां भी अपना है..सम्भालिए खुद
को इसी का नाम जीवन है...बेखबर खुद से इतने भी ना हो कि साँसे दांव पे लग जाए..ना डरे कहर से
इतना कि ज़िंदगी नाम बदनाम हो जाए...पाँव ज़मी पे रखिए जरा संभल के,ज़िंदगी जीने का ही तो नाम है