Wednesday 24 June 2020

क्यों छलक गए यह नैना तेरी बात सुन कर...कुछ तेरा प्यार और कुछ मेरा विश्वास,मिल के कर गए

इतना कमाल...अरमान दबा कर रखा था जो सीने मे,वो क्यों आज तेरी आवाज़ सुन हकीकत मे

बदलने लगा...हम है आज सांतवे आसमान पर,यह हम देख रहे है खवाब या दिन मे चाँद खुद आ

गया...अक्सर बाते करते रहते है रात भर सितारों से,यू लग रहा है सितारों का झुरमुट आंगन हमारे

खुद ही आ गया...शुक्रगुजार रहे गे ताउम्र तेरे लिए हम,कि जो तुम करने लगे हो हमारे लिए..वो कोई

और कैसे करता...यह लफ्ज़ नहीं हमारी रूह का कहना है,यह क़र्ज़ तेरा चुकाने के लिए जन्म बार-बार

ले गे दुबारा हम..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...