Sunday 14 June 2020

 ना सोए गे खुद ना तुझे सोने दे गे आज....बरसती रात है और तू मुझ से दूर बहुत दूर है...तुझे तो क्या

हम तो इस चाँद को भी आसमां मे ना रहने दे गे...बादलों से कर दी है सिफारिश,जम के बरसो..इतना

बरसो कि चाँद आसमां मे आने ही  ना पाए...बैचैन हो चांदनी बिन इतना कि उस को करार ही ना आए..

अपने जागने की कीमत तो वसूल करे गे..रात को कर दे गे बहुत गहरा और तुझे करवटें बदलने पे

मजबूर कर दे गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...