ना सोए गे खुद ना तुझे सोने दे गे आज....बरसती रात है और तू मुझ से दूर बहुत दूर है...तुझे तो क्या
हम तो इस चाँद को भी आसमां मे ना रहने दे गे...बादलों से कर दी है सिफारिश,जम के बरसो..इतना
बरसो कि चाँद आसमां मे आने ही ना पाए...बैचैन हो चांदनी बिन इतना कि उस को करार ही ना आए..
अपने जागने की कीमत तो वसूल करे गे..रात को कर दे गे बहुत गहरा और तुझे करवटें बदलने पे
मजबूर कर दे गे...
हम तो इस चाँद को भी आसमां मे ना रहने दे गे...बादलों से कर दी है सिफारिश,जम के बरसो..इतना
बरसो कि चाँद आसमां मे आने ही ना पाए...बैचैन हो चांदनी बिन इतना कि उस को करार ही ना आए..
अपने जागने की कीमत तो वसूल करे गे..रात को कर दे गे बहुत गहरा और तुझे करवटें बदलने पे
मजबूर कर दे गे...