Saturday, 13 June 2020

''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ''  परिशुद्ध प्रेम की वो गाथा,जो किसी भी स्वार्थ से परे है..जहा दो रूहे प्रेम के सागर मे इतना डूबी है कि वो दो जिस्म है मगर रूह से एक है..रूह ही रूह से जो कहती है,वो अद्भुत है...यह सरगोशियां का जादू है जो पढ़ने वालो को प्रेम का वो सुखद एहसास दिलाता है जो इस कलयुग मे लुप्त हो चुका है..मेरी ''सरगोशियां'' से जुड़े रहे....''शायरा'' 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...