''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' परिशुद्ध प्रेम की वो गाथा,जो किसी भी स्वार्थ से परे है..जहा दो रूहे प्रेम के सागर मे इतना डूबी है कि वो दो जिस्म है मगर रूह से एक है..रूह ही रूह से जो कहती है,वो अद्भुत है...यह सरगोशियां का जादू है जो पढ़ने वालो को प्रेम का वो सुखद एहसास दिलाता है जो इस कलयुग मे लुप्त हो चुका है..मेरी ''सरगोशियां'' से जुड़े रहे....''शायरा''
Saturday, 13 June 2020
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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सादगी पे हमारी कोई फिदा हो गया--आॅखो की गहराई पे हमारी,वो कहाानिया ही लिख गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिन...
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ना जुबाँ ही खुली,ना इशारा आँखों ने दिया..बात बनने के लिए साथ तेरी वफ़ा ने दिया....य़ू तो बिखरे है ज़ज्बात हज़ारो सीने मे मेरे,लिखते है लफ़्ज़ो...
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लाज शर्म के बंधनो से दूर,तेरी ही दुनिया मे कदम रखने चले आए है..पाँव की जंजीरो को तोड़,लोग क्या कहे गे-इस सोच से भी बहुत दूर,तुझ से मिलने च...