Saturday 6 June 2020

क्यों ना आज इन तेज़ हवाओं के साथ उड़ जाए..क्यों ना आज इस बरसती बरखा मे खुल के भीग जाए..

क्यों ना अब इस खौफ कहर के साथ बेखौफ जीना सीख़ जाए...घुट-घुट के जीना क्यों ,बिंदास अपने

लिए क्यों ना अब तो जी लिया जाए ...रेत के महल बहुत बना लिए,क्यों ना आज अभी से स्वाभिमानी बन 

सकूँन से जी लिया जाए.....मलाल ना रहे कि किस्मत ने यह नहीं दिया,यह छीन लिया..जो है अभी,क्यों ना

उस को दिल और ज़मीर से मान लिया जाए.. आँखों से अब नीर नहीं,ख़ुशी के झरते मोती संग जी लिया

जाए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...