Monday 29 June 2020

नख़रे कितने उठाए तेरे कि तेरे कदम तो अब धरती पे पड़ते ही नहीं...तुझे चाहा शिद्दत से,इस का यह

मतलब तो नहीं कि तू गिरा दे मुझे मेरे ही ज़मीर से....कुछ रंग प्यार के ऐसे भी होते है जो बेरुखी से

सफ़ेद भी हो जाते है..तुझे खुदा माना मैंने और तुम ने, वज़ूद मेरे को मिटा दिया इक ही पल मे...तेरे

लिए मुहब्बत इक खेल रहा होगा..लगता है तुझे अब कोई और मिल गया होगा...गर है ऐसा तो इतना

सुनते जाओ,तुम्हे सर से पांव तक अपनी दुआओं मे बांधा था..और आज उन दुआओं के घेरे से तुझे

आज़ाद भी कर दिया हम ने...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...