पहले तेज़ गर्म हवाएं फिर तेज़ बरसती बौछारे...कुदरत बता जरा तेरी मर्ज़ी क्या है...क्या हम इतने बुरे
है या यह हमारी परीक्षा की कठिन घड़ी है...अपनी सच्चाइयों का क्या हिसाब दू तुम को,अपनी सभी
तकलीफ़ों को कैसे बयाँ करू तुम को..इंसा है कुछ गलतियां हो गई होगी...पर गुनाह बड़े नहीं किए,
इतना दिल कहता है...बस कुछ खाव्हिशें ज़िंदा है अभी,इस दिल के आँगन मे...साँसे यह तेरी ही दी है,
इन को लेने का हक़ भी तेरा है..क्यों इतना उदास कर दिया तूने हम को..जानते है सिर्फ इतना,वो पूजा
रूह की पुकार थी..और वो इबादत भी पाक-साफ़ थी..
है या यह हमारी परीक्षा की कठिन घड़ी है...अपनी सच्चाइयों का क्या हिसाब दू तुम को,अपनी सभी
तकलीफ़ों को कैसे बयाँ करू तुम को..इंसा है कुछ गलतियां हो गई होगी...पर गुनाह बड़े नहीं किए,
इतना दिल कहता है...बस कुछ खाव्हिशें ज़िंदा है अभी,इस दिल के आँगन मे...साँसे यह तेरी ही दी है,
इन को लेने का हक़ भी तेरा है..क्यों इतना उदास कर दिया तूने हम को..जानते है सिर्फ इतना,वो पूजा
रूह की पुकार थी..और वो इबादत भी पाक-साफ़ थी..