ज़िंदगी के मायने क्यों भूल जाते है लोग...ज़िंदगी खूबसूरत है,क्यों भूल जाते है लोग...माना,बहुत दर्द
बहुत तकलीफें देती है यह ज़िंदगी...कभी सोचा,घबरा कर हौसला पस्त कर,ज़िंदगी खुद ख़तम करना
कहां की समझदारी है...दर्द को,तकलीफो को जो सहना सीख गया,यक़ीनन वो जीना सीख गया...गर
पैसा सब कुछ होता,गर प्यार सब कुछ होता तो क्या जीवन सरल होता..शिकस्त दे इन सभी को और
ज़िंदगी को फिर गले लगा....यह साँसे टूट कर फिर लौटा नहीं करती..फंदे पे झूल कर,क्या यह जरुरी
है..जन्म अगला मुनासिब होगा,जीने के लिए...फंदा,किसी दुःख का हल नहीं होता...
बहुत तकलीफें देती है यह ज़िंदगी...कभी सोचा,घबरा कर हौसला पस्त कर,ज़िंदगी खुद ख़तम करना
कहां की समझदारी है...दर्द को,तकलीफो को जो सहना सीख गया,यक़ीनन वो जीना सीख गया...गर
पैसा सब कुछ होता,गर प्यार सब कुछ होता तो क्या जीवन सरल होता..शिकस्त दे इन सभी को और
ज़िंदगी को फिर गले लगा....यह साँसे टूट कर फिर लौटा नहीं करती..फंदे पे झूल कर,क्या यह जरुरी
है..जन्म अगला मुनासिब होगा,जीने के लिए...फंदा,किसी दुःख का हल नहीं होता...