साँसों ने एक सवाल अर्ज़ किया हमारी खिदमत मे...इतना तो हम भी नहीं महकते,जितना तुम एक बार
ही महक लेते हो...जब तल्क़ आते है हम अपनी दूजी पारी पे,तब तल्क़ तुम सौ बार हम को जी लेते हो..
कहाँ से इतना बिंदास जीना सीखे हो..डरते नहीं कि हम कभी भी रुक सकते है...जवाब देने की बारी
अब हमारी थी..'' जीते है बिंदास तभी तो तुम खिदमत मे हमारी आए हो,,सवाल तुम ने किया है,हम तो
जवाब के इस दौर मे भी बिंदास है..जब चाहे बेशक रुक जाना,तुझ से गिला भी क्या करना..जितनी देर
हो साथ मेरे,तेरा साथ बहुत प्यारा है...चली जाना जब जाना हो..बस अभी बिंदास मुझे जीने दो''.....
ही महक लेते हो...जब तल्क़ आते है हम अपनी दूजी पारी पे,तब तल्क़ तुम सौ बार हम को जी लेते हो..
कहाँ से इतना बिंदास जीना सीखे हो..डरते नहीं कि हम कभी भी रुक सकते है...जवाब देने की बारी
अब हमारी थी..'' जीते है बिंदास तभी तो तुम खिदमत मे हमारी आए हो,,सवाल तुम ने किया है,हम तो
जवाब के इस दौर मे भी बिंदास है..जब चाहे बेशक रुक जाना,तुझ से गिला भी क्या करना..जितनी देर
हो साथ मेरे,तेरा साथ बहुत प्यारा है...चली जाना जब जाना हो..बस अभी बिंदास मुझे जीने दो''.....