Tuesday 9 June 2020

शब्द..यही तो है जो सन्देश देते है...लफ्ज़ ही तो है,जो दूर तल्क़ जाते है...जो छोड़ जाए दिलों पे छाप

हम बस इतना ही हुनर रखते है...हम लिखते है इन शब्दों को बहुत ही शिद्दत से,इस उम्मीद को साथ

लिए...ना जाने किस के जीवन को दर्द से तकलीफ से निजात दे जाए..जो यह आज है,वो कल नहीं

होगा...सुबह जो अब तक बन चुकी है धूप की बेला...कुछ देर और, फिर बन जाए गी यही साँझ की

बेला...जब कुदरत बदल रही है इतना कुछ तो उम्मीद का दामन बांधे रखिए...दर्द जब हद से गुजरता

है तभी तो सकून को ले कर आता है...सकून और ख़ुशी बस आने को है,उम्मीद को जगाए रखिए ..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...